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शुभ योग

जनवरी सन् 2012

कार्य-सिद्धि योग

1 जनवरी को सूर्योदय से दिन 12.41 तक

3 जनवरी को सूर्योदय से सायं 6.42 तक

4 जनवरी को रात्रि 9.37 से रातभर

10 जनवरी को प्रात: 5.18 से सूर्योदय तक

11 जनवरी को प्रात: 5.16 से सूर्योदय तक

15 जनवरी को सूर्योदय से रात्रि 12.34 तक

18 जनवरी को रात्रि 8.29 से 19 जनवरी को सायं 7.09 तक

22 जनवरी को सायं 4.01 से रात्रिपर्यन्त

23 जनवरी को दिन 3.32 से रातभर

29 जनवरी को रात्रि 11.53 से रातभर

अमृत योग

3 जनवरी को सूर्योदय से सायं 6.42 तक

15 जनवरी को सूर्योदय से रात्रि 12.34 तक

18 जनवरी को रात्रि 8.28 से रातभर

सर्वदोषनाशक रवि योग

2 जनवरी को दिन 3.38 से 4 जनवरी को रात्रि 9.37 तक

6/7 जनवरी को रात्रि 2.20 से 7/8 जनवरी को रात्रि 3.53 तक

14/15 जनवरी को रात्रि 1.50 से 15/16 जनवरी को रात्रि 12.34 तक

26 जनवरी को सायं 5.04 से 27 जनवरी को सायं 6.47 तक

28 जनवरी को रात्रि 9.06 से 29 जनवरी को रात्रि 11.53 तक

द्विपुष्कर (दोगुना फल) योग

15/16 जनवरी को रात्रि में 12.34 से 3.38 तक

24 जनवरी को दिन 3.29 से रातभर

विघ्नकारक भद्रा

1 जनवरी को दिन 11.47 तक

4 जनवरी को सायं 7.23 से 5 जनवरी को प्रात: 8.35 तक

8 जनवरी को दिन 12.46 से रात्रि 12.52 तक

11 जनवरी को रात्रि 11.15 से 12 जनवरी को प्रात: 10.40 तक

15 जनवरी को प्रात: 5.36 से सायं 4.37 तक

18 जनवरी को प्रात: 10.32 से रात्रि 9.30 तक

21 जनवरी को दिन 3.49 से देर रात 3.04 तक

26/27 जनवरी को रात्रि 1.14 से दिन 1.47 तक

30 जनवरी को रात्रि 8.19 से 31 जनवरी को प्रात: 9.38 तक

पंचक

माह के प्रारंभ से 2 जनवरी को दिन 3.38 तक

24/25 जनवरी को रात्रि 3.43 से 29 जनवरी को रात्रि 11.53 तक

मूल-संज्ञक नक्षत्र

रेवती-अश्विनी: 1 जनवरी को दिन 12.41 से 3 जनवरी को सायं 6.42 तक

आश्लेषा-ज्येष्ठा: 11 जनवरी को प्रात: 5.16 से 13 जनवरी को प्रात: 4.01 तक

ज्येष्ठा-मूल: 19 जनवरी को सायं 7.09 से 21जनवरी को सायं 4.50 तक

रेवती-अश्विनी: 28 जनवरी को रात्रि 9.06 से 30/31 जनवरी को रात्रि 2.55 तक

चंद्रमा का राशि-प्रवेश

2 जनवरी को दिन 3.38 बजे मेष में

5 जनवरी को प्रात: 4.16 बजे वृष में

7 जनवरी को दिन 3.07 बजे मिथुन में

9 जनवरी को रात्रि 11.12 बजे कर्क में

12 जनवरी को प्रात: 4.47 बजे सिंह में

14 जनवरी को प्रात: 8.44 बजे कन्या में

16 जनवरी को दिन 11.54 बजे तुला में

18 जनवरी को दिन 2.50 बजे वृश्चिक में

20 जनवरी को सायं 5.55 बजे धनु में

22 जनवरी को रात्रि 9.53 बजे मकर में

24/25 जनवरी को रात्रि 3.43 बजे कुंभ में

27 जनवरी को दिन 12.22 बजे मीन में

29 जनवरी को रात्रि 11.53 बजे मेष में

ग्रहराशि गति अवस्था

सूर्य14/15 जनवरी को रात्रि 12.57 बजे मकर में मार्गी *

मंगलपूरे महीने सिंह में24 जनवरी से वक्री उदित

बुध4 जनवरी को प्रात: 7.13 बजे धनु में, 24 जनवरी को प्रात:6.56 बजे मकर में मार्गी 17 जनवरी से अस्त

गुरु पूरे महीने मेष में मार्गीउदित

शुक्र 9 जनवरी को दिन 1.40 बजे कुंभ में मार्गीउदित

शनि पूरे महीने तुला में मार्गीउदित

राहु-केतु पूरे महीने क्रमश: वृश्चिक-वृष में वक्री *

योग-परिचय

कार्य-सिद्धि योग एवं अमृत-योग प्रकृति की सकारात्मक ऊर्जा से सम्‍पन्न होने के कारण किसी भी काम को शुरू करने के लिए श्रेष्ठ रहेंगे। रवि-योग में सूर्य की विशिष्ट शक्ति समाहित होने से यह समस्त दुर्योगों को नष्ट करके शुभ फल वरदान करता है। द्विपुष्कर एवं त्रिपुष्कर योग अपने नाम के अनुरूप क्रमश: दोगुना एवं तीन गुना फलदायक होते हैं अत: इनमें धन-धान्य का संग्रह, पूंजी का विनियोजन एवं शुभ कर्मों को करना ही उचित रहेगा। रविवार- पुष्य नक्षत्र का संयोग तंत्र-साधना हेतु तथा गुरुवार- पुष्य का योग (पुष्यामृत योग) व्यापारिक (आर्थिक) कार्यों हेतु सर्वोत्तम रहता है।

तिथि-वृद्धि एवं तिथि-क्षय

जिस तिथि की अवधि में सूर्योदय दो बार होता है, उस तिथि की वृद्धि मानी जाती है। जब किसी तिथि की अवधि में सूर्योदय नहीं होता है, तब उसका क्षय माना जाता है। तिथि-वृद्धि एवं तिथि-क्षय मांगलिक कार्यों में वर्जित कहा गया है। वृद्धि को प्राप्त अथवा क्षय हुई तिथि को शुभ कार्यों में त्याग देना ही उचित है अन्यथा चावल का दान दें।

   
 
 
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