Aarti  
 
 


   Share  family



   Print   



 
Home > Aarti Sangrah > Aarti Saraswati Ji Ki
 
आरती सरस्वती जी की

जननि विद्या बुद्धि भक्ति की। आरती ..

जाकी कृपा कुमति मिट जाए।

सुमिरन करत सुमति गति आये,

शुक सनकादिक जासु गुण गाये।

वाणि रूप अनादि शक्ति की॥ आरती ..

नाम जपत भ्रम छूट दिये के।

दिव्य दृष्टि शिशु उधर हिय के।

मिलहिं दर्श पावन सिय पिय के।

उड़ाई सुरभि युग-युग, कीर्ति की। आरती ..

रचित जासु बल वेद पुराणा।

जेते ग्रन्थ रचित जगनाना।

तालु छन्द स्वर मिश्रित गाना।

जो आधार कवि यति सती की॥ आरती ..

सरस्वती की वीणा-वाणी कला जननि की॥ आरती..

 

 

 

 
 
होम | अबाउट अस | आरती संग्रह | चालीसा संग्रह | व्रत व त्यौहार | रामचरित मानस | श्रीमद्भगवद्गीता | वेद | व्रतकथा | विशेष