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महाकाली
Mahakali Mata
एक समय की बात है कि संसार में प्रलय आ गई थी। चारो ओर पानी ही पानी नजर आता था । उस समय भगवान विष्णु की नाभि से कमल कि उत्पति हुई । उस कमल से ब्रह्याजी की उत्पति हुई। इसके अतिरिक्त भगवान विष्णु के कानो से कुछ मैल निकला था । उस मैल से मधु और कैटभ नाम के दो राक्षस बने । मधु और कैटभ ने जब चारो ओर देखा तो उन्हे ब्रह्याजी के अतिरिक्त कुछ भी नही दिखाई दे रहा था । वे ब्रह्याजी को देखकर उन्हे अपना भोजन बनाने के लिए दौडे । तब ब्रह्याजी ने भयभीत होकर भगवान विष्णु की स्तुंति कि । ब्रह्याजी कि स्तुति से विष्णु भगवान की नींद खुल गई और उनकी आँखो मे निवास करने वाली महामाया लोप होगई । भगवान विष्णु के जागते ही मधु और कैटभ उनके युद्ध करने के लिए दौडें । कहते है यंह युद्ध पाँच हजार वर्षो तक चलता रहा । अन्त में महामाया ने महाकाली का रूप धारण कर इन दोनो राक्षसो की बुद्धि को बदल दिया । वे दोनो असुर भगवान विष्णु से कहने लगे हम तुम्हारे युद्ध कौशल से बहुत प्रसन्न है । तुम जो चाहे वर माँग लो भगवान विष्णु ने कहा कि यदि तुम कुछ देना चाहते हो तो यह वर दो कि दैत्यो का नाश हो । उन्होने तथास्तु कह दिया । इस प्रकार महाबली दोनो दैत्यो का नाश हो गया ।
   
 
 
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