Aarti  
 
 


   Share  family



   Print   



 
Home > Aarti Sangrah > Aarti Durga Ji Ki
 
आरती दुर्गा जी की

ओ अम्बे तू है जगदम्बे काली जय दुर्गे खप्पर वाली।
तेरे ही गुण गाये भारती, ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती।।

तेरे भक्त जनो पर माता, भीर पडी है भारी।
दानव दल पर टूट पडो मॉ करके सिंह सवारी।।
सौ-सौ सिंहो से बलशाली, है अष्ट भुजाओ वाली,
दुष्टो को तू ही ललकारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती।।

मॉ बेटे का इस जग मे बडा ही निर्मल नाता।
पूत - कपूत सुने है पर न, माता सुनी कुमाता।

सब पे करूणा बरसाने वाली, अमृत बरसाने वाली,
दुखियो के दुखडे निवारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती।।

नही मांगते धन और दौलत, न चांदी न सोना।
हम तो मांगे तेरे चरणो मे, इक छोटा सा कोना।

सबकी बिगडी बनाने वाली,लाज बचाने वाली,
सतियो के सत को सवांरती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती।।

चरण शरण मे खडे तुम्हारी, ले पूजा की थाली।
वरद हस्त सर पर रख दो,मॉ सकंट हरने वाली।
मॉ भर दो भक्ति रस प्याली,
अष्ट भुजाओ वाली, भक्तो के कारज तू ही सारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती।।

   
 
 
होम | अबाउट अस | आरती संग्रह | चालीसा संग्रह | व्रत व त्यौहार | रामचरित मानस | श्रीमद्भगवद्गीता | वेद | व्रतकथा | विशेष